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परिंदा

ऊड़ न सकूँ, पंख कतरा मैं परिंदा हूँ।
पर मरा नहीं अभी तक, मैं जिंदा हूँ।
आजादी तुझे ही नहीं हमें भी है पसंद,
तू ना सही, तेरे कृत्य पर मैं शर्मिन्दा हूँ।

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