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पर्यावरण है धरा का आभूषण ,इसको खूब सजाओ

पर्यावरण है जीवन हम सब का ,आओ इसका सम्मान करें
क्यों बिगड़ रहे हालात ,इस बात का ध्यान करें
हरियाली क्यों ख़त्म हो रही ,धधक रही क्यों सूर्य की ज्वाला
बढ़ता प्रदूषण बना रहा ,हिम खण्ड को अपना निवाला
वन उपवन हमने काट दिए ,वायु भी प्रदूषित कर डारी
है वातावरण भी मैला अब ,छीर सिंधु भी है प्रदूषित भारी
यमुना मैली ,गंगा मैली ,बादल लाते अब वर्षा मैली
तुम्हारी उन्नति के धुवों से ,हो रही है यह हवा विषैली
जहरीले धुवों से अब तो ,प्रदूषण चारों ओर फैला है
अधाधुंध कटाई से पेड़ों की ,पर्यावरण संतुलन बिगड़ा है
खेल किसने है प्रकृति का बिगाड़ा ,किसके लालच ने दुनिया को मारा
है खतावार कोई नहीं ,आदमी का दोष है सारा
प्राकृतिक आपदाओं से ,यदि अब बचना है
छेड़छाड़ उससे मत करिए ,जो कुदरत की रचना है
पर्यावरण अगर बचाना है ,तो सच्चे मन से यत्न करो
हरे भरे वृक्षों को पालो ,नव वृक्षारोपण नित्य करो
वरना वह दिन दूर नहीं
हमसे यह प्रकृति बदला लेगी
जीवन जीना मुश्किल होगा ,पल पल सांस घुटेगी ….
अब भी सम्भव है मेरे भाई ,खुद जागो और जगाओ
पर्यावरण है धरा का आभूषण ,इसको खूब सजाओ

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