पिंजरबद्ध Geeta kumari 4 years ago पिंजरबद्ध ना लिख सकूंगी अंकुश होगा सिर पर तो फिर, भावों को कैसे व्यक्त कर करूंगी मेरे कवि मन को यदि, उन्मुक्त माहौल मिलेंगे तभी इस कवि मन में, गीतों के पुष्प खिलेंगे कहीं भली है बस सुंदर सराहना, इस अंधी दौड़ की टैंशन से..।