पैसा की चाहत ॥ मन की बात 8 years ago पैसे की चाहत ने ॥ मन तो मेरा कोमल था ॥ तेरी चाहत ने खुदगरज बना दिया ॥ हर रिश्ता अपना सा था ॥ बेगाना बना दिया ॥ शान्ति,नीद अपनी थी ॥ पर बीमारी के सग जीना सीखा दिया। अकेला हूँ आज हर अहसास से ॥ तेरी चाहत ने अहपाईज बना दिया ॥ रेनुका गोयल ॥