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प्रार्थना।

त्रिविध ताप कर शमित हमारे भोले शंकर।

राह कठिन, मंजिल भी धूमिल,
पैरों में छाले, उजड़ा दिल।
आज हमें दर्शन दे देखूँ तुझको जी भर।
त्रिविध ताप कर शमित हमारे भोले शंकर।
फैल रहा प्रतिपल अँधियारा,
हर पल ठोकर, चल-चल हारा।
आकर हमें बचा ले वरना जाऊँगा मर।
त्रिविध ताप कर शमित हमारे भोले शंकर।
वैर, भेद, आतंक, निराशा,
नर, नर के शोणित का प्यासा।
अपनों ने अपनों का देखो फूँक दिया घर।
त्रिविध ताप कर शमित हमारे भोले शंकर।
मूल्य – ह्रास, आचार – हीनता
भ्रमित बुद्धि, भय और दीनता।
जन-जन का कल्याण करो, पीड़ा सबकी हर।
त्रिविध ताप कर शमित हमारे भोले शंकर।
सीमा पर दुश्मन के गोले,
दे त्रिशूल अब अपना भोले।
सर्वनाश कर दे बाबा दुश्मन को धर-धर।
त्रिविध ताप कर शमित हमारे भोले शंकर।

अनिल मिश्र प्रहरी।

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