Site icon Saavan

प्रेम भावों को लूटा दूँ

जी जला दूँ गीत गाकर
फूंक डालूँ स्वर जलाकर
भेदभावों को मिटा दूँ,
प्रेम भावों को लुटा दूँ।
आँसुओं को सब सुखा दूँ,
सत्य पर नजरें झुका दूँ,
भावनाओं में न बह कर,
लेखनी अपनी उठा लूँ।
ठेस पाऊँ सौ जगह से,
धर्म पथ की ही वजह से,
पर अडिग चलता रहूँ,
भाव निज लिखता रहूँ।
शांति हो कोलाहलों में
लेखनी हो सांकलों में
हो मुखर कहता रहूँ मैं
बात सच लिखता रहूँ मैं।

Exit mobile version