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प्रेम राग



रूक्मणी सी क्यूँ लगती हो तुम

बनके राधा चली आओ ना

चाँद निकलेगा छत पर मेरे

आजा मेरी गली आओ ना

फूल खिलते कहीं भी नहीं

क्यूँ बहारों की बातें करूँ

हम बसायेंगे मिलकर चमन

शाद बनकर कली आओ ना

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