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प्रेम

प्रेम
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एक उलझन एक तड़पन,
एक मीठी सी आग है ये।
दो दिलों के बीच सुलगती है,
चाहत का आगाज है ये।
हर शय में लगता है वो ही हैं,
हर पल उनकी आवाज सी है।
मेरे दिल में उनकी दस्तक है,
हर धड़कन पर एक छाप सी है।
लगता कि मिलने आओ तुम,
या फिर से हमें बुलाओ तुम ।
भर लो यु अपनी बाहों में ,
कि सारा जहां भुलाओ तुम,
फिर हमें छोड़ ना जाओ तुम ,
फिर हमें छोड़ ना जाओ तुम
निमिषा सिंघल

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