तुम्हें आज मैं कथा – सार
यहाँ सुनाने आया हूँ
तुमको शुकदेव –परीक्षित का
संवाद बताने आया हूँ
इंद्रिय शक्ति अगर चाहो तो
इन्द्र पूजन करो
ब्रह्म – तेज की चाह अगर हो
वृहस्पति- कृपा भरो
चाह श्री लक्ष्मी को खुश करना
देवी माया का जप करना
तेज की हो चाह यदि तुममें
अग्नि प्रज्जवलित करके पूजना
–
तुम्हें यदि वीर है बनना
रुद्रों को खुश करते जाओ
धन पाने की हो मन में लालसा
वसुओं के आराधक बन जाओ
अन्न कृपा तुम पर होगी ही
अदिति को आप मनायेँ
हो स्वर्ग प्राप्ति की यदि अभिलासा
अदिति पुत्रों का जप करें-करायें
राज़्य प्राप्ति के लिए सुनो !
विश्व देवों को तुम गुनो
प्रजा अनुकूल अगर चाहो तो
साध्य देवों को तुरंत चुनो-
दीर्घ आयु की इच्छा वाले
अश्वनी कुमारों को न भूलना
अगर पुष्टि की तेरी कामना
पृथ्वी को है तुम्हें पूजना
प्रतिष्ठा की यदि चाह तुम्हारी
पृथ्वी – आकाश की पूजा न्यारी
अगर सौंदर्य तुम्हें है पाना
बस गन्धर्वो को पूजो पारा–पारी
पत्नी प्राप्ति की खातिर तुम
करो उर्वसी- अप्सरा की पूजा
सभी का स्वामी बनना चाहो
ब्रह्मा के अतिरिक्त कोई न दूजा
यश की कामना करना चाहो
यज्ञ – पुरुष का ध्यान धरो
अगर खजाना पाना चाहो
वरुण देव का मान करो
यदि ध्यान विद्या – प्राप्ति पर
शिव – शिव का जाप तूँ कर
पति -पत्नी परस्पर प्रेम की खातिर
पार्वती माँ के चरण तू धर
धर्म उपार्जन के लिए हे नर
विष्णु भगवान् की पूजा कर
बाधाओं पर पड़ोगे भारी
मरुद्गणों के शरण तू जा
हो राज्य कायम, रखने का ध्यान
तो मनवंतर के अधिपति का रख मान
अभिचारक के लिए तू नर
निऋतिक का भान कर
यदि भोगों खातिर तेरा सफर
चन्द्रमा की उपासना कर
निष्काम प्राप्ति की कातिर ध्यान
बस परम पुरुष नारायण पर
सभी थपेड़े दूर भगाओ
श्री नारायण की स्तुति गाओ
संवाद शुकदेव – परीक्षित
पढ़ो – पढ़ाओ और सुनाओ
कवि हूँ मैं सरयू – तट का – सुखमंगल सिंह