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फरेब

चाहें जहाँ भी छुपना चाहा हर बार पकड़ा गया,
रास्ता साफ दिखने वाला भी अक्सर पथरा गया,

बड़े प्यार से काम पर काम निकलता रहा पहले,
फिर नज़रें मिलाने वाला भी बचकर कतरा गया,

प्यार की झूठी कहानी गढ़कर यूँही बढ़ता गया,
फिर एक रोज सीधे ख्वाबों से फरेब टकरा गया,

क्या यही प्रेम है जो आत्मविश्वास से अड़ता गया,
या वो झूठ जो सच पर लगाकर सीधी चढ़ता गया।।

राही अंजाना

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