फलक के चाँद से,
या तेरी याद से
जिऊँ किसके सहारे,
ऐसे हालात से,
मोड़ जो आ गए
बनके मेरे दूरियां
कैसे किससे कहें
अपनी मजबूरियां
जो तेरे इश्क में,
खोया हूँ हर घड़ी
तू क्या जाने सनम..
साँसें बैचेन पड़ी..
वो मुलाकात से
या दिन और रात से
जिऊँ किसके सहारे,
ऐसे हालात से,…
कसर छोड़े नहीं,
मेरे दिल में कहीं
घोल दी इश्क ये,
बन के ज़हर कहीं
– मनोज कुमार यकता
फलक के चाँद से,
