बर्फ के फ़ाहे गिरे सारी रात,
चिपके रहे टहनियों के साथ
सूर्य-रश्मि का मिलते ही ताप,
मोती बन बूंद-बूंद बिखर गए,
हिम के दूधिया से श्वेत कण
धूप में और भी निखर गए
कांप रहा है ठंड से सारा शहर,
बढ़ता ही जा रहा है ठंड का कहर
हिम की ऐसी हुई बरसात,
बर्फ के फ़ाहे गिरे सारी रात..
_______✍️गीता