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बसंत ऋतु

बसंत ऋतु में जब बहा बसंती ब्यार।
गिरने लगी आसमान से सावन के फुहार।।
कहीं दूरऽ से जब कोयलिया मधुर गीत सुनाए ।
दिल के बगिया में सैंकड़ों कलियां खिल जाए।।
ए रिमझिम के नजारा लगता है कितना न्यारा।
दिल में एहसास जगाए मीठा मीठा प्यारा प्यारा।।
पतझर जीवन में साल भर पे आया बसंत बहार।
यही मौसम में होता है किसी से किसी को प्यार।।
कहे कवि — काश ऽऽ यह बसंत ऋतु न आता।
सोंचो – सुखी डाली पे मेंहदी के रंग कैसे चढ पाता।।

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