Site icon Saavan

बहन की मुराद !!

वो हर कदम साथ देती थी
मेरा,
चाहे जितनी मुसीबतों ने हो घेरा..
हर मन्दिर में मेरी सलामती की
दुआ मांगती थी,
मैं बन जाऊं बड़ा यही मुराद
मांगती थी..
पैरों में जूते भी ना थे,
ना माँ-बाप का साया,
करके चाकरी घर-घर मेरी
बहन मुझे पढ़ाया..
आज बन गया हूँ मैं अफसर,
गाड़ी बंगला है नौकर-चाकर..
पर कोई भी खुशी नहीं है
जिसने देखे थे ये सपने
वो बहना ही दुनिया में
नहीं है..
मेरे सपने पूरे करते-करते,
कोरोना महामारी के चलते..
चली गई वह छोंड़ के दुनिया,
किस काम की है ये सारी खुशियाँ !!

Exit mobile version