बहुत दूर तलक जाकर भी कहीं दूर जा पाते नहीं राही अंजाना 6 years ago बहुत दूर तलक जाकर भी कहीं दूर जा पाते नहीं, परिंदे यादों के तेरी मेरे ज़हन से उड़ पाते नहीं, बनाकर जब से बैठे हैं मेरी रूह पर घरौंदा अपना, किसी जिस्म पर चैन से ये ठहर पाते नहीं।। राही (अंजाना)