साथ मेरे एक तू और तेरा प्यार बाकी है।
बाकी सब बेजान चीजें बेकार बाकी है।
हालात संग, लोगों के मिजाज बदल गये,
टूटा हूँ, बिखरा नहीं, अभी धार बाकी है।
कितने ही इम्तहानों से तो गुजर चूका हूँ,
लगता अभी और वक्त की मार बाकी है।
नजरें चुराकर चले हैं ऐसे, कि जानते न हो,
लगता है जैसै, मेरा उन पर उधार बाकी है।
हर एक शख्स से पूछा, पहचानते हो मुझे,
कुछ तो मुकर गये, कुछ के करार बाकी हैं।
देवेश साखरे ‘देव’