बेकारी राकेश 3 years ago बेकारी उत्पन्न हो, जब जनसंख्या बुद्धि सीमित संसाधन नहीं, सबको सुख समृद्धि सबको सुख समृद्धि, स्ववलंबी बन जाओ कर दो लज्जा त्याग, नहीं बेकार कहाओ कह पाठक कविराय, जीत हो जाय तुम्हारी छोटा बड़ा न काम, करे जाए बेकारी