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बेपरवाह

जिन्दगी आज क्यु इस कदर वे-परवां हो गई,

थी जो सपने साथ वो भी आज खफा हो गई/

 

बहारो ने भी रुख बदल लिये अब हमसे,

गीत लिखना भी चाहुँ तो कैसे शब्द जुदा हो गई/

 

अरमॉ मचलते रहे दिल ही दिल मे योगी,

सारी उम्र की चाहत आज रफा दफा हो गई/

 

खुदा से पुछू की यै खुदा ये जिन्दगी क्यु दी,

जो साथ थी हमारी वो भी बेवफा हो गई /

 

योगेन्द्र कुमार निषाद

घरघोड़ा जिला-रायगढ़ (छ.ग.)

९४०६२२०६८३

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