भर गई समर्पण की गगरी Pragya 1 year ago नहीं चाह रही इस जीवन की भर गई समर्पण की गगरी अब पछताए क्या होवे है जो रोवे है सो खोवे है तीर लगा इस पाथर को पाथर में भी जान तो होवे है अबका होगा ? अब का होई ? यही पूँछ पूँछ हम रोवे है!