हमार पिया
जियरा हमरा जुड़ईहई हमार पिया अंखियां तोसे जो मिलिहई हमार पिया। तुम तऊ लाएउ हमरी सौतनिया दुलहा हमरऊ तऊअई हई हमार पिया। बात मा सौ…
जियरा हमरा जुड़ईहई हमार पिया अंखियां तोसे जो मिलिहई हमार पिया। तुम तऊ लाएउ हमरी सौतनिया दुलहा हमरऊ तऊअई हई हमार पिया। बात मा सौ…
तस्वीरों से बतिया के देखो अक्स रूह तक हो आएगी आईने मैं कतरा बहा कर देखो खोई से तेरी झलक आएगी साहिलों से लड़ के…
नहीं चाह रही इस जीवन की भर गई समर्पण की गगरी अब पछताए क्या होवे है जो रोवे है सो खोवे है तीर लगा इस…
अवध में बाजे चहुँ ओर बधइया। राजा दशरथ के भवन में जन्म लियो चारों भैया ब्रह्मा, विष्णु, शंकर नाचत धन्य कौशल्या मैया अवध में बाजे…
*अच्छे विचारों का असर आज कल इसलिए नही होता,* *क्योंकि* *लिखने वाले और पढने वाले दोनो ये समझते है कि ये दुसरों के लिए है….!!!!*
पप्पू परधानी मा खड़ा हयिन जनता के गोडे मा पड़ा हयिन जनता ताई वय लड़ा हयिन जनता ताई वय खड़ा हयिन जितय ताई वय हैरान…
सीतापुरिया अवधी रचना = “हमरी तऊ पुलिस दरोगा भऊजी” अउरेन की भऊजी जेलि करउती, हमरी तऊ पुलिस, दरोगा भऊजी। दिनु भरि स्वावईं अईसी-वईसी, पहरा राति…
सुनि हनुमत के बचन सिय देखहिं चारिउ ओर। अति लघु रूप धरि प्रगटे हनुमत सिय के कर जोर।।
सुनहु जानकी मातु मैं हूँ रघुवर का दास। करता हूँ सेवा सदा रहता चरनन के पास।।
चीन होइ या पाकिस्तान होइ इनके तीर(पास) खाली दहशतगर्दइ हँइ कोई अउर कामु तऊ आवति नाइ खाली दिमाग शैतान केर घर होति हई। तबहें तऊ…
बदरी घिरि आई ए हो पिया! रिमझिम बरसत छम से बदरिया
तुम आए बदरा छाए नैनमा दीप जले गेहूं की बाली खेतन मां लहराए जब लागी प्रीत बिरहा की तो फसल ओला से गिर जावे मनमोहन…
हम नाइ खाइब आजु ते तंबाकू तुमहू छोड़ि देउ ओ बाबू
हम नाइ खाइब आजु ते तंबाकू तुमहू छोड़ि देउ ओ बाबू
अपने-अपने मां सब परे हमरी सुधि नाइ कोई लेइ। ओ बांसुरी बजावई वाले तनिक हमरीउ सुधि लेउ।।
वईसी डेरु बईठा अइसी शरम हमका घेरे हई ना वई द्याखइ ना हमहे देखी
हे सखी! कौनी विधि पूजई जाई । सावित्री पूजा,कईसे पूजई जाई? बरगद की डाढ़ मगाई या फिरी, बरगद के नीचे जाई। हे सखी! कौनी विधि…
हमते घरइतिनि रोज़ु-रोजु कहति हइ , घुमावइ लई चलउ कहूँ । लॉक डाउन मा ऊबि गयेन हई , मईके कइसेऊ भेजि देउ तुम । हमका…
सीतापुरिया अवधी बोली:- हमका देखि बोलीं भऊजी काहे नाई सोउती हऊ तुम ? राति-राति भरि किटिपिटि- किटिपिटि फोन म का लिखती हउ तुम? हम बोलेन…
वहि घरका ना जाउ कबहुं जहां ना होइ सम्मान नीके जहां कोइ नाइ मिलइ हुंआँ जाइते हइ अपमान रूखी-सुखी खाइ लेउ बढ़िया व्यंजन छोड़ि प्रेम…
सीतापुरिया अवधि:- राति क द्याखँइ चांद-सितारा दिनमाँ चांद निहारइ दिन भरि छोटुआ-छोटुआ कहिके अम्मा लाल पुकारइ अम्मा भई बाँवली। टूटी खटिया फटी चटाई जब अम्मा…
सीतापुरिया अवधि:- राति क द्याखँइ चांद-सितारा दिनमाँ चांद निहारइ दिन भरि छोटुआ-छोटुआ कहिके अम्मा लाल पुकारइ अम्मा भई बाँवली। टूटी खटिया फटी चटाई जब अम्मा…
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