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विषय – भारतवर्ष की बेटी

” मन की पीड़ा को आपके सामने ला रही हु अपने वाणी को प्रस्तुत करने जा रही हु ”
मैं रूकती नहीं उन इरादों से,
जो कैद कर सके मेरे पाउ ।
मैं भारत वर्ष की बेटी हूं ,
मेरे मन में बसते आजादी के भाव।
अपनी मन की पीड़ा को रख रही हूं,
रख रही हूं अपने दिल की आशाओं को।
मन की बात मन से समझ समझीये,
ऐसे न तोरीयेगा जैसे प तोड़े शिसाओ को।

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