भारतीय संस्कृति,
अमिट
अडिग
अति सुन्दर
मनभावन,
स्वीकृत भावों की
भंगिमा है
जिसे अपनाया
सहेजा
संवारा और
ह्रदय तल से
स्वीकृत किया जाता है
जो सदा सबका
हित
लिये रहती है और
संस्कारों की धरोहर
हर मनुष्य को देती है
जिससे सुदृढ़ होता है,
मन
वचन
कर्म
व्यक्तित्व,
जो समयानुसार
परिवर्तित भी होती है
अपने अन्दर
सर्व धर्म समभाव
की भावना लिये रहती है।।