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भावना को लिया ढक

गरम हवा है
जल रहे हैं आज भीतर तक,
देख लो छूकर अगर
है कोई आपको शक।
वसन से आज हमने
भावना को लिया ढक,
सोच कर खुद की हालत
बढ़ गई दिल की धक-धक।
गा रहे हैं ये कविता
खुशी में और गम में,
तू भी आकर ओ राही,
स्वाद इसका जरा चख।

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