भूखी दास्तां (Poetry on Picture Contest) Panna 8 years ago वो आंखे आज तक चुभती है मुझको एक दम खाली, खाली कटोरे सी जो पूछ रही हों, कह रही हो अपनी भूखी दास्तां लफ़्ज ही बेबस है, नहीं समेट सकते दर्द को उनके खाली है वो भी उनके खाली पेट की तरह!