Site icon Saavan

मजदूर

मजदूर
——-
मुट्ठी में बंद उष्णता, सपने, एहसास लिए,
खुली आँखों से देखता है कोई …..
क्षितिज के उस पार।

बंद आँखों से रचता है इंद्रधनुषी ख्वाबों का संसार।

झाड़ता है सपनों पर उग आए कैक्टस और बबूल….
रोपता है सुंदर फूलों के पौधे बार -बार।

उगता है रोज सुबह नई कोपल सा …
करता है सूर्य की पहली किरण का इंतजार।

मासूम हँसी
से मुस्कुराहट लेकर उधार,
चल पड़ता है ख्वाबों का थैला लिए… हँसी
लौटाने का वादा कर हर बार।

श्रम, पसीने के सिक्के बाजार में चला
खरीद लेता है कुछ अरमान…
लौटाने मासूम चेहरों पर हँसी,मुस्कान।

कठोर धरती पर गिरते अरमानों को…
आँखों की कोरों में छुपा,
चिपका लेता है चेहरे पर नकली हँसी,
पर अतृप्त आँखें बता देती है उसके दिल का हाल।

Exit mobile version