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मजबूर खङी

कयी प्रश्न है मानस पर उभरे
यहाँ दस्तूर भी हैं कैसे-कैसे
अपने भी हैं क्यूँ पराए जैसे
माँ-पापा ने भरपूर स्नेह दिया
फिर क्यों कर खुद से दूर किया
जन्म दिया, पालन पोषण करके
क्यू किसी और के हाथों सौंप दिया
यहाँ सभी हैं अनजाने,इनके मन में कैसे झांके
सबकी है उम्मीद बङी,नन्ही गुङिया मजबूर खङी

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