मत मुड़कर देख मुसाफ़िर Kanchan 4 years ago उम्मीदों की मंज़िल है समझौतों का रास्ता है नाराज़ हो रहे अपने हैं कुछ बुने कुछ टूटे सपने हैं अंधेरे का वास्ता है, उजाले का रास्ता है फिर भी, हालात बदल जायेंगे जज़्बात संभल जायेंगे मत मुड़कर देख मुसाफ़िर वरना सारे खयालात बदल जायेंगे।