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मत मुड़कर देख मुसाफ़िर

उम्मीदों की मंज़िल है समझौतों का रास्ता है
नाराज़ हो रहे अपने हैं कुछ बुने कुछ टूटे सपने हैं
अंधेरे का वास्ता है, उजाले का रास्ता है
फिर भी,
हालात बदल जायेंगे जज़्बात संभल जायेंगे
मत मुड़कर देख मुसाफ़िर
वरना सारे खयालात बदल जायेंगे।

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