ठोस के साथ हमें
कुछ उदार रहना है
अपनी आदत में हमें
अब सुधार करना है।
स्वहित के साथ हमें
दूसरों के हित में भी
थोड़ा रुझान रखना है
मदद की तरफ बढ़ना है।
जिन्हें जरूरत है
उन्हें मदद करने
डगर उनकी सरल करने
हमें भी बढ़ना है,
इंसान की तरह बर्ताव कर
इंसान से प्रेम करना है
इंसानियत में रख निष्ठा
इंसान बनना है।
महान बन सकें न हम भले
मगर महानता की सीख लेकर
उसे व्यवहार में
उतारना है,
खुद के व्यक्तित्व को निखारना है।