मन की पतंग Pankaj Singh 4 years ago मन की पतंग को भी ऐसे उड़ने दे! की ना कोई उसे बंद, न कोई उसे उड़ा सके! मदमस्त, मनमौजी हवा के जैसे चाहे जहां उड़ान भर सके! ख़ुशी मिले उसे जहां वहीं वह अपना डेरा डाल सके! मन की पतंग को भी ऐसे उड़ने दे!