पुलवामा शहीदों को याद करते हुए मेरे कुछ शब्द। मेरा प्रथम प्रयास कुछ भी सुधार की जरूरत लगे तो कमेंट जरुर करे
याद आज वो मंजर आता है पीठ में खोंफा वो खंजर आता है। बदन पर लिपटा था तिरंगा उनके मर मिट गए थे वतन पर…
याद आज वो मंजर आता है पीठ में खोंफा वो खंजर आता है। बदन पर लिपटा था तिरंगा उनके मर मिट गए थे वतन पर…
याद आज वो मंजर आता है पीठ में खोंफा वो खंजर आता है। बदन पर लिपटा था तिरंगा उनके मर मिट गए थे वतन पर…
शोर बहुत है बाहर.. कि अंदर चुप ; अब रहा नहीं जाता ! क्या कहूँ उन बहरों से इस दिल की बात.. बिना धमाके के…
आ रहा मंक्रर संक्राति का त्योहार। तिल को गुड़ से मिलायेगें, दही को छक कर खायेगें। नही होगा किसी से शिकवा-शिकायत, दिल को पतंग सा…
यूं तो भारतवर्ष, कई पर्वों त्योहारों का देश है। भिन्न बोली-भाषाएं, खान-पान, भिन्न परिवेश है। आओ मैं भारत दर्शन कराता हूं। महत्त्व मकर संक्रांति की…
मन की पतंग को भी ऐसे उड़ने दे! की ना कोई उसे बंद, न कोई उसे उड़ा सके! मदमस्त, मनमौजी हवा के जैसे चाहे जहां…
आसमान का मौसम बदला बिखर गई चहुँओर पतंग। इंद्रधनुष जैसी सतरंगी नील गगन की मोर पतंग। मुक्त भाव से उड़ती ऊपर लगती है चितचोर पतंग।…
त्यौहारों का देश हमारा, पर्व अनेक हम मनाते है हर उत्सव में संदेश अनेक है, विश्व को हम बतलाते हैं अब पौष मास में निकल…
आज मैं खुश हूं सभी बुराई पोंगल पर्व में झोंक जलधर फाटक आज ना बंद कर पतंग ना मेरी रोक सजि पतंग वैकुंठे चली थी…
आज मैं खुश हूं सभी बुराई पोंगल पर्व में झोंक जलधर फाटक आज ना बंद कर पतंग ना मेरी रोक सजि पतंग वैकुंठ चली थी…
जैसे जैसे मकर संक्रान्ति के दिन करीब आते हैं हर जगह पतंग! हर जगह पतंग! ये कागज की पतंगें बहुत आनंद देती हैं नीले आसमान…
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