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माँ की ममता

मूसलाधार बारिश हो रही थी। रात का समय था। एक गरीब माँ अपने एक साल के बच्चे के संग एक पेड़ के नीचे बैठी हुई थी। हर बार पत्तों से टपकता पानी उस माँ को भिगो रही थी। मगर वह माँ अपने बच्चे को छाती से लगाए बारिश के पानी से उसे बचाने का काफी प्रयास कर रही थी । उसे डर है कि मेरा लाल अगर भीग गया तो बीमार पर जाएगा । जब जब बच्चे के उपर पानी टपकता था तब तब वह औरत अपनी आंचल से उसे पोंछ दिया करती थी। आहिस्ता आहिस्ता उस औरत की पुरी साड़ी भीग गई। संयोग से बारिश भी थम गई। मगर वह अपने बच्चे को भीगने तक नहीं दिया। ऐसी होती है अपने बच्चों के प्रति माँ की ममता। धन्य है वह माँ जो खुद को भिगो दी मगर अपने बच्चो को भीगने तक नहीं दी।

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