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मां ये देखो कैसा चांद निकल आया है

मां ये देखो कैसा चांद निकल आया

ग्रह के गर्भ में लिपटा हैं
बादलों में छुप छुप कर बैठा हैं
डरा सहमा सा यह दिखता हैं
मां ये देखो कैसा चांद निकल आया हैं
मां ये देखो कैसा चांद निकल आया हैं

हैं किसका यह प्रकोप मां
चांद को निगल बैठा हैं
काल चक्र के साये में चांद देखो फंसा हैं
मा‍ं ये देखो कैसा चांद निकल आया हैं
मां ये देखो कैसा चांद निकल आया हैं

अपने रोशनी को क्यो निगल बैठा हैं
चांद आज क्यो काला काला सा दिखता हैं
बना कर शक्ल मामा यूं ही क्यो बैठा हैं
मां ये देखो कैसा चांद निकल आया हैं
मां ये देखो कैसा चांद निकल आया हैं

चंदा मामा आज क्यो धुंधले धुंधले से लगते हैं
किसके प्रतिशोध में जले भुनें से लगते हैं
अम्बर कि चोटी में खोये खोये से लगते हैं
मां ये देखो कैसा चांद निकल आया हैं
मां ये देखो कैसा चांद निकल आया हैं

महेश गुप्ता जौनपुरी

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