साया चाहूं मात-पिता का,
जीवन में हर पग पग पर,
देना खुशियां हे! परमेश्वर,
मात पिता का दामन भर।
करूं वंदना कर कमलों से,
रज को सजाऊं माथे पर,
मिलता आशीर्वाद स्नेह,
सज जाता फिर आंगन घर।
मां की ममता करुणा न्यारी,
सारे दुख हर लेती है,
अमृत की गागर बन जाती,
सत्य मार्ग दिखलाती है।
पापा ने कांधे पर बिठाकर,
जीवन का सार सिखाया है,
कभी ना डिगना कर्तव्यपथ से,
उंगली थाम आगे बढ़ाया कोटि
कोटि नमन अनुपम छवि को,
जो हर पल साथ निभाया है,