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मानुष जनम

सिया राम जी केॅ चरण
हमरा मन में रमल।
जे हम हेती करिया भौरा
पुष्प पराग मुख भरल ।।
चरण छुवि हम नित नित
जनम कृतारथ करल।
विनयचंद मानुष जनम
नाम रटन हित धरल।।

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