Site icon Saavan

मार गई मुझे

तेरी अदाएँ, तेरी नज़ाकत मार गई मुझे।
तेरी शोख़ियाँ, तेरी शरारत मार गई मुझे।

बेशक मोहब्बत है, पर डरता हूँ इज़हार से,
मेरी खामोशी, मेरी शराफ़त मार गई मुझे।

मैं करना चाहता था, अकेले दिल की बातें,
पर तेरे दोस्तों की, जमाअत मार गई मुझे।

तेरी नज़रें बहुत कुछ कहना चाही मगर,
मेरी नादानी, मेरी हिमाक़त मार गई मुझे।

दिल चाहता है तेरी धड़कने महसूस करना,
गले में तेरी बाहों की हिरासत मार गई मुझे।

देवेश साखरे ‘देव’

जमाअत- मंडली, हिमाक़त- बेवकूफी

Exit mobile version