Site icon Saavan

मुक्तक

मुझे चाहतों का ईनाम मिल गया है!
मुझे बेरुखी का पैगाम मिल गया है!
बिखरी हुई लकीरें हैं अरमानों की,
दर्द का आलम सुबह शाम मिल गया है!

#महादेव_की_कविताऐं'(22)

Exit mobile version