मुक्तक 32 Abhishek Tripathi 9 years ago हवाओं की नज़र से देखता हूँ मीर मैं तुझको , कि छूकर पास से निकलूं और तुझको खबर न हो . ये दिल पत्तों सा हिलता है तेरी यादों के आने से,, कभी तो झूम के बरसेगा सावन उम्मीद बाक़ी है . …atr