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मुक्तक

मेरा हरेक आलम ख्वाब तेरा लगता है!
तेरा ख्याल सर्दियों में धूप सा जलता है!
जब भी सताती हैं सरगोशियाँ इरादों की,
नींद के आगोश में दर्द तेरा चलता है!

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

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