मुक्तक Mithilesh Rai 6 years ago मैं क्या भरोसा कर लूँ इस ज़हाँन पर? डोलता यकीन है टूटते इंसान पर! हर किसी को डर है तूफाने-सितम का, आदमी जिन्दा है वक्त के एहसान पर! रचनाकार -#मिथिलेश_राय