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मुक्तक

क्यों तुम भटक गये हो वस्ल की राहों में?
क्यों तुम बिखर गये हो दर्द की आहों में?
ढूँढती हैं मंजिलें रफ्तार हिम्मत की,
क्यों तुम नजरबंद हो खौफ की बाँहों में?

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

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