Site icon Saavan

मुक्तक

मुझे तुम किसलिए जगाते हो यूँ रातों में?
नींद आती नहीं ख्वाहिश-ए-मुलाकातों में!
लिपट गयी हैं हसरतें यादों से इसतरह,
जिन्दगी मदहोश है तेरे ख्यालातों में!

Composed By #महादेव

Exit mobile version