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मुक्तक

हर शक्स अपने आप में बिमार जैसा है!
दिल में है दर्द आँखों में खुमार जैसा है!
जल रहा है दामन हरतरफ उम्मीदों का,
जिन्द़गी से हर कोई लाचार जैसा है!

Composed By #महादेव

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