Site icon Saavan

मुक्तक

तुम्हें याद करते-करते खामोश सा हो जाता हूँ!
अपने ही जुदा ख्यालों से मदहोश सा हो जाता हूँ!
जब भी करीब आता है तेरे ख्वाबों का काफिला,
अपने आशियाने में खानाबदोश सा हो जाता हूँ!

#महादेव

Exit mobile version