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मुक्तक

मैं तेरी गुफ्तगूं की राह ढूंढ़ता रहता हूँ।
मैं तेरी ज़ुल्फ़ों की पनाह ढूंढ़ता रहता हूँ।
जब भी नज़र में आती हैं तस्वीरें यादों की-
मैं अपनी मयकदों में आह ढूंढ़ता रहता हूँ।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

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