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मुक्तक

ख़्वाब टूटते हैं मग़र यादें रह जातीं हैं।
चाहतों की दिल में फ़रियादें रह जातीं हैं।
देख़तीं रहतीं हैं आँखें राहें मंज़िल की-
वस्ल की भटकी हुई मुरादें रह जातीं हैं।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

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