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मुक्तक

खोटे सिक्के को यूं ही सरेआम जलील मत करो यारों,
कभी खोटा सिक्का भी बादशाह हुआ करता था,
बस वक्त वक्त की बात होती है,
समय के साथ बहुत कुछ बदल जाता है,

महेश गुप्ता जौनपुरी

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