मुक्तक महेश गुप्ता जौनपुरी 4 years ago काला चश्मा पहनकर चलते सतरंगी चाल में, खुद से खुद बातें करते फंसते देखो जाल में। बात के जंजीरों में जकड़ पीसते देखो जात में, अपने सर का बोझ उठाये फिरते अंधेरी रात में।। ✍महेश गुप्ता जौनपुरी