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मुक्तक

किसका शौक पूरा हुआ है,
गम खुशी में जीवन रहा है,
जो दिखावा कर रहे जमाने में,
खुशी के लिए बहुत कुछ सहना पड़ रहा है,

हालत ने पटका ऐसे,
जो कल जी रहें थे राज शाही जैसे,
जो सब्जी में पनीर मशरूम खाते थे
वो स्वास्थ्य के लिए गोमूत्र पीते टानिक जैसे,

कोई राजा से फकीर हो गया,
कोई जुआ खेल अमीर हो गया,
कोई लैला के लिए मजनू बना,
कोई परिवार छोड़ देश हित में शहीद हो गया,
——–
कवि ऋषि कुमार ‘प्रभाकर’-

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