Site icon Saavan

मुखौटा

इक मुखौटा है जिसे लगा कर रखता हूं
जमाने से खुद को छुपा कर रखता हूं

दुनिया को सच सुनने की आदत नहीं
सच्चाई को दिल में दबा कर रखता हूै

बस रोना आता है जमाने की सूरत देखकर
मगर झूठी हंसी चेहरे से सटा कर रखता हूं

आयेगी कभी तो जिंदगी लौट के मेरे पास
इंतजार में पलके बिछा कर रखता हूं

आज इक नया मुखौटा लगा कर आया हूं
मैं कई सारे मुखौटा बना कर रखता हूं

Exit mobile version