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मुझको बहुत नचाया

छलक- छलक आंखों ने
दिल का हाल जताया।

गीले-सूखे जज्बातों को
फिर आज जगाया।

दिल की धड़कन ने
मध्यम -मध्यम राग सुनाया।

मैं जिंदा हूं!
मुझको ऐसा एहसास कराया।

एक कप की प्याली ने… … ..
लम्हा याद दिलाया।

बुझाता बंद होता दिया….
जरा सा फिर चिरचिराया।

खट्टी -मीठी अमिया ने
फिर कुछ याद दिलाया।

उन्मुक्त हंसी का
फिर वह जमाना वापस आया ।

आंखों में बसी आंखों ने
इशारों पर जब नचाया।

दिल झूम उठा
फिर उसने मुझको बहुत नचाया।

निमिषा सिंघल

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